निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख, मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार। निज संतति के सुख हित सहते अगणित दुख, मात-पिता के संग ही पूरा होता एक परिवार।
तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी
कितना अनोखा है ये बंधन तेरे संग बीते मेरा जीवन कितना अनोखा है ये बंधन तेरे संग बीते मेरा जीवन
हम सबके अपने ही सब होते, तब मधुरिम मृदुतर बरसते रंग। हम सबके अपने ही सब होते, तब मधुरिम मृदुतर बरसते रंग।
मानवता महज उनमें बस रेंगती है, जिन्दगी भी ऐसों को बस ठेलती है। मानवता महज उनमें बस रेंगती है, जिन्दगी भी ऐसों को बस ठेलती है।
निज भाषा को अपनायें निज संस्कृति के मोती पायें निज भाषा को अपनायें निज संस्कृति के मोती पायें